Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
शनिवार को राज्यपाल के कार्यकाल की तीसरी वर्षगांठ पर राजभवन में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने अपनी ही मूर्ति का अनावरण किया।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस से जुड़ा मूर्ति विवाद इस समय सुर्खियों में है। शनिवार को राजभवन में राज्यपाल की एक मूर्ति का अनावरण किया गया था, लेकिन विवाद बढ़ने के बाद सोमवार देर शाम को इस मूर्ति को हटा दिया गया। इसके साथ ही राज्यपाल ने खुद इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है।
शनिवार को राज्यपाल के कार्यकाल की तीसरी वर्षगांठ पर राजभवन में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने अपनी ही मूर्ति का अनावरण किया। जैसे ही इस घटना की तस्वीरें सार्वजनिक हुईं, सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। लोगों ने सवाल उठाए कि कोई व्यक्ति अपनी ही मूर्ति का अनावरण कैसे कर सकता है।
पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने इसे लेकर तीखी टिप्पणी करते हुए इसे हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा, "यह तो जटायू जैसा है। राजभवन में 'मैक मोहन'।"
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राजभवन ने दी सफाई
विवाद बढ़ने पर रविवार को राजभवन के मीडिया सेल ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह मूर्ति एक कलाकार द्वारा उपहार स्वरूप दी गई थी। बयान में बताया गया कि कई कलाकार राज्यपाल को अपनी कलाकृतियां भेंट करते हैं, और इसी तरह एक मूर्तिकार ने गहरी श्रद्धा और प्रेम से यह मूर्ति बनाई थी।
मंगलवार को एक और बयान जारी कर कहा गया कि मूर्तिकार ने कभी राज्यपाल से मुलाकात नहीं की और न ही राजभवन का दौरा किया। उन्होंने इसे दूरदराज के क्षेत्र में रहकर बनाया और राज्यपाल के नेतृत्व के प्रति सम्मान के प्रतीक के रूप में भेंट किया।
सोमवार शाम, राजभवन ने घोषणा की कि राज्यपाल ने मूर्ति विवाद की जांच के लिए एक समिति का गठन की है। यह समिति यह पता लगाएगी कि राजभवन में प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर मूर्ति कैसे स्थापित की गई।
इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष ने इसे "लोक दिखावा" और "हास्यास्पद कदम" करार दिया। राजनीतिक दलों ने इस घटना पर सवाल उठाते हुए इसे प्रोटोकॉल का बड़ा उल्लंघन बताया।